कवर्धा विशेषछत्तीसगढ़ प्रादेशिक

छत्तीसगढ़ की जेलों में आध्यात्मिक क्रांति: कैदियों ने गंगाजल से किया सामूहिक स्नान

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सुधार और पुनर्वास की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की गई है। राज्य की 5 सेंट्रल जेल, 20 जिला जेल और 8 सब-जेल में बंद कैदियों ने महाकुंभ से लाए गए पवित्र गंगाजल से सामूहिक स्नान किया। इस विशेष आयोजन का उद्देश्य केवल शारीरिक शुद्धता नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक उत्थान भी था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की प्रेरणा से हुए इस आयोजन ने जेलों के माहौल को आध्यात्मिक आभा से भर दिया।

इस आध्यात्मिक पहल से छत्तीसगढ़ की जेलों में एक नई रोशनी फैल गई है, जहां दंड नहीं, बल्कि सुधार और पुनर्वास की नई कहानी लिखी जा रही है।

237 कैदियों ने कबीरधाम जिला जेल में लिया गंगास्नान

कबीरधाम जिला जेल में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में 237 कैदियों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ गंगा जल से स्नान किया। यह गंगाजल राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा स्वयं महाकुंभ से लेकर आए थे। कैदियों ने इस अवसर को अपने जीवन में एक नई शुरुआत के रूप में स्वीकार किया और आत्मशुद्धि की भावना से भर गए। जेल प्रशासन ने इस आयोजन को जेल सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया, जिससे कैदियों में सुधार और पुनर्वास की भावना मजबूत होगी।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा बोले – “सुधार और पुनर्वास की दिशा में ऐतिहासिक कदम”

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा, “हमारी सरकार कैदियों के केवल दंड के पक्ष में नहीं, बल्कि उनके सुधार और पुनर्वास के लिए भी प्रतिबद्ध है। गंगा जल से स्नान कर कैदियों को आत्मशुद्धि और मानसिक शांति का अनुभव हुआ है। हम भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करेंगे, जिससे वे एक नया जीवन शुरू कर सकें।”

राज्य सरकार की सुधारात्मक नीति का नया आयाम

छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल जेल सुधार के क्षेत्र में एक मिसाल बन रही है। कैदियों को आध्यात्मिक शांति देने और उनके पुनर्वास की दिशा में उठाए गए इस कदम से समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है। सरकार का मानना है कि इस तरह के आध्यात्मिक और नैतिक सुधार कार्यक्रम अपराधियों को एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button

Discover more from THE PUBLIC NEWS

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading